Farmers protest 2.O में किसानों ने लिया बड़ा कदम , पुलिस ने दिल्ली को चारो तरफ से किया बंद और किसानो पर छोड़े आंसू गैस के गोले !

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Farmers protest: किसान हमारे देश की रीड है आपको याद होगा 2 साल पहले किसानों का एक बड़ा Farmers protest हुआ था। ऐसा ही एक आंदोलन पिछले दो दिन से दिल्ली के बॉर्डर पर देखा जा रहा पूरे भारत में हजारों किसान फिर से विरोध कर रहे हैं। लेकिन इस बार उनकी मुख्य मांग बहुत आसान है सरकार से अपनी फसलों के लिए उचित दाम का वायदा चाहते हैं यानी के MSP । सोचिए आप स्वादिष्ट गेहूं उगाते हैं लेकिन जब आप इसे बाजार में बेचते हैं तो आपको नहीं पता है कि आपको कितना पैसा मिलेगा ?कभी-कभी बिचौलिए इसे बहुत सस्ते में खरीद लेते हैं जिससे आपके पास मुश्किल गुजारा चल पाता है किसान इस अनिश्चितता से थक चुके हैं।इसलिए वह चाहते हैं कि सरकार उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करें, इस तरह चाहे जो भी हो उन्हें हमेशा उचित राशि मिलेगी। एक सुरक्षा जाल उनके लिए बन जाएगा।

Why Farmers Protest Again (फिर से किसान आंदोलन क्यों ) ?

2 साल पहले उन्होंने कुछ नए कानून के खिलाफ विरोध किया था जो उन्हें लगता था कि उन्हें नुकसान पहुंचाएंगे। सरकार ने उनकी बात सुनी और उन कानून को वापस ले लिया, लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार ने MSP के बारे में अपना वादा नहीं निभाया है तो वह सरकार को अपना वादा याद दिलाने के लिए दोबारा से Farmers protest कर रहे हैं।

क्या चाहते है किसान ?

Farmers Protest

किसान इस बार कुछ नहीं मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं जिसमें MSP मुख्य है ।

कानूनी तौर पर गारंटी कृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): इससे किसानों को उनकी फसलों का काम से कम दाम मिलने की गारंटी होगी और बिचौलियों के शोषण से किसानों को बचाने में मदद मिलेगी। सरकार ने भले ही MSP पर विचार करने का वादा किया, लेकिन कोई ठोस कदम सरकार की तरफ से अभी तक नहीं उठाया गया है।

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों का कार्यान्वयन : इस रिपोर्ट में किसानों की आई और कल्याण सुधारने के लिए कई उपाय सुझाए गए थे लेकिन सरकार ने इन्हें पूरी तरह से लागू नहीं किया है।

किसान के लिए कर्ज माफी और पेंशन : किसान कर्ज के बोझ से दबे हैं और उन्हें सामाजिक सुरक्षा का अभाव है इसलिए वह राहत और समर्थन की मांग कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना : 2021 के विरोध प्रदर्शनों से जुड़े कई किसानों पर अभी भी कानूनी आरोप लगे हैं किस चाहते हैं कि सरकार इन आरोपों को वापस ले और उनके मुक्त करे।

लखीमपुर खीरी पीड़ितों के लिए न्याय : किसान चाहते हैं कि एक मंत्री से जुड़े काफिले की वजह से कथित तौर पर हुई प्रदर्शनकारियों की म्यूट के लिए जवाब दे ही तय की जाए।

सरकार क्या कह रही है Farmers protest पर ?

भारत सरकार के कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि “केंद्र सरकार ने किसान नेताओं से बातचीत की है ज्यादातर मुद्दों पर सहमति बनी है और जिन मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है उसे पर बात करने के लिए सरकार तैयार है केंद्रीय मंत्री ने कहा किसानों से निवेदन है कि वह ऐसे लोगों से सावधान रहे, जो वातावरण को प्रतिकूल बनाना चाहते हैं। बहुत सारे लोग ऐसी कोशिश करेंगे कि इस तरह की स्थिति बनेगी, जिससे एक वातावरण प्रदूषित हो। किसान भाइयों से कहूंगा कि ऐसी चीजों से बचें भारत सरकार किसानों के हितों को लेकर प्रतिबद्ध है।”

2024 में किसानों के विरोध पर सरकार मानती है कि उनकी चिंताएं जायज है लेकिन वह हर फसल के लिए कानूनी न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP लागू करने में हिचकिचा रही है उनका तर्क है कि इस तरह की तय कीमत बाजार को गड़बड़ा सकती है जिससे उपभोक्ताओं को नुकसान हो सकता है और पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
सरकार फिलहाल किसान नेताओं के साथ बातचीत कर रही है और बेहतर खरीद प्रणालियों और कृषि अब अवसंरचना में ज्यादा निवेश जैसे वैकल्पिक समाधान तलाश रही है वह किसानों के लिए उचित दामों की जरूरत को तो समझती है लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता और संभावित अनपेक्षित परिणाम को लेकर चिताओं के कारण वह अभी तक MSP प्रणाली लागू करने में सतर्कता बरत रही है।

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क्या हुआ था 2021 में ?

2021 में भी एक Farmers protest हुआ था जिसमें लगभग देश के अनेकों राज्यों से किसानों ने उसे आंदोलन में भाग लिया था उसे आंदोलन के मुख्य बिंदु है

  • किसानों ने तीन कृषि कानून का विरोध किया जिन्हें वह अपना पलड़ा कमजोर करने और उन्हें कंपनियों के शोषण का शिकार बनाने वाले मानते थे।
  • 1 साल के लंबे विरोध के बाद सरकार ने आखिरकार नवंबर 2021 में इन कानून को वापस लेने पर सहमति जताई।
  • किसानों ने जीत की घोषणा की और वापस लौट गए लेकिन कुछ ने अन्य मांगों पर ठोस कार्रवाई ने होने को लेकर चिंता जताई।

क्या है MSP ?

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)एक ऐसी सरकारी योजना है जो किसानों को उनकी फसलों के लिए एक न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता है इसे किसी फसल के उत्पादन लागत से डेढ़ गुना अधिक रखा जाता है। ताकि किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके, उदाहरण के लिए अगर गेहूं का एसपी ₹2000 प्रति क्विंटल तय किया गया है तो किसी भी स्थिति में सरकार किसानों से गेहूं ₹2000 से कम में नहीं खरीदेगी। यह किसानों को एक सुरक्षा जाल प्रदान करता है और उनकी आय को स्थिर रखने में मदद करता है।

हालांकि MSP सभी फसलों पर लागू नहीं होता है और बाजार का मूल्य कई बार एसपी से अधिक हो सकता है इसके अलावा किसानों को अपनी फसल MSP पर बेचने के लिए सरकारी मंडियों पर निर्भर रहना पड़ता है। जो हमेशा आसानी से उपलब्ध नहीं होती है इसके बावजूद MSP किसानों को एक सुरक्षा चक्र प्रदान करता है।और उन्हें फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित करता है जिस देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

किसान बहुत महत्वपूर्ण है वह भोजन उगते हैं जो हम कहते हैं यदि वह दुखी हैं तो यह सभी को प्रभावित करता है साथ ही यह विरोध भारत में बड़े चावन से ठीक पहले हो रहे हैं इसलिए राजनेता पूरा ध्यान दे रहे हैं यह फोटो को प्रभावित कर सकता है और भारतीय कृषि का भविष्य तय कर सकता है।


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